Karva Chauth 2025 : हिंदुओं में मनाए जाने वाला ऐसा त्यौहार है जिसे सुहागन स्त्रियों द्वारा बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है | करवा चौथ का व्रत सभी सुहागन स्त्रियां अपने पति के लिए इसका उपवास करती हैं और वह अपने पति की दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखती हैं | हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्र भगवान की पूजा अर्चना की जाती है | अब आप सभी के मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर करवा चौथ का व्रत कब से मनाया जा रहा है और इसकी शुरुआत कैसे हुई |
इस पोस्ट में क्या क्या है
तो हम आपको आज के इस आर्टिकल में करवा चौथ व्रत के बारे में विस्तार से बताएंगे और करवा चौथ के व्रत को करने की क्या क्रिया विधि होती है और इस वर्ष करवा चौथ का शुभ मुहूर्त क्या है उसकी भी पूरी जानकारी यहां पर आपको विस्तार से बताएंगे तो पूरी जानकारी के लिए इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़ें |

Karva Chauth 2025
शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में Karva Chauth का विशेष महत्व है स्त्रियों द्वारा करवा चौथ के दिन अपने पति की दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखा जाता है | KarvaChauth का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाने का प्रावधान है | सभी सौभाग्यवती स्त्रियां इसे मनाती हैं और इस व्रत का आरंभ सूर्योदय से पहले शुरू किया जाता है और चंद्रमा निकलने तक इसका व्रत किया जाता है चंद्रमा निकलने के उपरांत इस व्रत की पूजा की जाती है तब इसे पूर्ण माना जाता है |
कब से मनाया जा रहा है करवा चौथ का व्रत?
अगर Karva Chauth के व्रत के प्रारंभ की बात की जाए तो यह व्रत देवताओं के समय से मनाया जा रहा है और यह परंपरा देवताओं के समय से ही चली आ रही है | ऐसा बताया जाता है कि जब देवताओं और दानवों में युद्ध हो रहा था तो उस समय देवता युद्ध को हारते हुए दिखाई दे रहे थे ऐसे में सभी देवता गण मिलकर भगवान ब्रह्मदेव के पास गए और वह भगवान ब्रह्म देव से रक्षा के बारे में विनती करने लगे |
इसके बाद भगवान ब्रह्म देव ने उन्हें इस व्रत के बारे में बताया और कहा कि ऐसे संकट से देवताओं को बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए करवा चौथ का व्रत रखना होगा और सच्चे ह्रदय से इस व्रत का पालन करना होगा और पत्नियों को अपने पति की विजय की कामना करनी होगी |
जब यह बात ब्रह्मदेव ने देवता गणों को बताई तो देवताओं ने ब्रह्मदेव के कथन अनुसार अपनी-अपनी पत्नियों से इस व्रत को करने को कहा और उन्होंने इस बात को स्वीकार किया और उसके बाद कार्तिक माह की चतुर्थी को देवताओं की पत्नियों ने इस व्रत को रखा और पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन किया और अपने पतियों की विजय की प्रार्थना की |
इसके बाद बताया जाता है कि देवताओं ने मिलकर इस युद्ध को जीत लिया और देवताओं की विजय हुई उसके बाद देवताओं की पत्नियों ने इस व्रत को खोला और भोजन ग्रहण किया और उसके बाद तभी आकाश में चंद्र देवता के दर्शन हुए तभी उन्होंने चंद्र देवता को दर्शन करते हुए KarvaChauth Vrat का आरंभ किया तभी से यह करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है और इसमें चंद्र देवता की पूजा की जाती है |
करवा चौथ 2025 कब है?
करवा चौथ 2025 का व्रत 31 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर और पति के हाथों से पानी पीकर ही व्रत खोला जाता है।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन महिलाएँ सोलह श्रृंगार कर, पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है।
करवा चौथ व्रत की कथा
प्राचीन काल से करवा चौथ की कई कथाएँ प्रचलित हैं। एक प्रमुख कथा वीरवती की है, जो अपने भाइयों के छल के कारण व्रत तोड़ देती है और उसके पति की मृत्यु हो जाती है। बाद में, देवी पार्वती के आशीर्वाद से वह पुनः जीवित होता है। इसलिए, यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
करवा चौथ व्रत पूजा विधि
करवा चौथ की पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान और संकल्प: प्रातः काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- सोलह श्रृंगार करें: विवाहित महिलाएँ इस दिन पारंपरिक परिधान और आभूषण पहनती हैं।
- करवा चौथ कथा सुनें: शाम को चंद्रमा निकलने से पहले करवा चौथ की कथा सुनें।
- करवा पूजन: पूजा में करवा (मिट्टी का घड़ा), जल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत और अन्य पूजन सामग्री का उपयोग करें।
- चंद्र दर्शन और अर्घ्य: चंद्रमा को छलनी से देखकर अर्घ्य दें और पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलें।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त 2025
- करवा चौथ व्रत प्रारंभ: सुबह 06:30 बजे
- चंद्र उदय का समय: रात्रि 08:45 बजे (समय शहर के अनुसार बदल सकता है)
- पूजा का मुहूर्त: शाम 06:00 बजे से 07:30 बजे तक
करवा चौथ के पारंपरिक भोजन
व्रत खोलने के बाद महिलाएँ स्वादिष्ट व्यंजन ग्रहण करती हैं, जिनमें:
- फलों का सेवन
- मिठाइयाँ जैसे खोया बर्फी, गुलाब जामुन
- मेवा से बनी खीर
- हल्का और पौष्टिक भोजन
करवा चौथ से जुड़ी मान्यताएँ और परंपराएँ
- इस दिन महिलाएँ सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
- सुहागिनें अपनी सास को सर्गी देती हैं, जिसमें फल, मिठाइयाँ और उपहार शामिल होते हैं।
- करवा चौथ के दिन निर्जल व्रत का पालन करना बहुत कठिन होता है, लेकिन यह पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करता है।
- यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
करवा चौथ 2025 से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
- करवा चौथ 2025 की तारीख क्या है?
- करवा चौथ 2025, 31 अक्टूबर (शुक्रवार) को मनाया जाएगा।
- करवा चौथ का व्रत कौन रख सकता है?
- विवाहित महिलाएँ और कुछ कुंवारी लड़कियाँ भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रख सकती हैं।
- करवा चौथ का व्रत कब तक रखना चाहिए?
- चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोला जाता है।
- क्या करवा चौथ का व्रत बिना जल ग्रहण किए रखा जाता है?
- हाँ, पारंपरिक रूप से यह व्रत निर्जला रखा जाता है, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से कुछ महिलाएँ फल और पानी ले सकती हैं।
- क्या करवा चौथ का व्रत तोड़ने पर कोई दोष लगता है?
- यह एक आस्था का पर्व है, इसलिए यदि किसी कारणवश व्रत न रख पाएं तो मन में श्रद्धा बनाए रखें।
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